कहती है ये दुनिया कितना तू लड़ेगा,
नहीं है बस की तेरी, अब हार मान जा,
पर अंदर से एक आवाज़ आयी..
सुन ना तू दुनिया की, अपने ऊपर भरोसा रख,
और बस अपने मंजिल की ओर बढ़ता चला जा।
जीत निश्चित हो तो कायर भी मैदान में आ जाते हैं,
साहसी वो हैं जो निश्चित हार के बावजूद मैदान से भाग नहीं जाते हैं,
पर निश्चित हार को विजय में पलटने वाले ही असली योद्धा कहलाते हैं।
रख हौसला तू.. तेरा भी समय आएगा,
प्यासे के पास समुन्दर खुद चलकर आएगा।
मंजिलो के रुकावट से मायूस ना हो ऐ मुसाफिर,
मंजिल भी आएगी ओर वहां पहुंचने का मजा भी आएगा।